शनि मन्दिर की स्थापना 22 फरवरी, 2003 को जयपुर से आहूत पंडितों के माध्यम से इं० एल० एम० शर्मा “बन्धू जी” के सत्प्रयास से सम्पन्न हुई । भगवान शनिदेव की कृपा से यह मन्दिर दिनोंदिन विस्तृत होता रहा और आज इस विशाल रूप में आपके समक्ष है । हरे भरे पेंड़ पौधों के बीच दक्षिणी लखनऊ का यह नीलांजन शनि मन्दिर देश के प्रख्यात मन्दिरों में से एक है ।

प्रबन्ध तन्त्र

संस्थापक/संरक्षक:भगवान श्री शनिदेव जी
प्रबन्धक:इं० एल० एम० शर्मा “बन्धू जी”
मुख्य पुजारी:पंडित रामनरेश मिश्रा जी

शनि मन्दिर प्रांगण मे प्रतिवर्ष नव वर्ष के प्रथम रविवार को विराट राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है । जिसमे देश के प्रसिद्ध कवि अपनी कविता का पाठ करते हैं ।
प्रतिवर्ष होली मिलन समारोह, जन्माष्ठमी पर मटकीफोड़ प्रतियोगिता, 22 फरवरी को स्थापना दिवस पर विशाल भण्डारा, बड़ा मंगल का भण्डारा, भगवती जागरण, श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन आदि कार्यक्रम सम्पन्न होतें है । देश व प्रदेश के महापुरुष, विद्वान, राजनेता, कवि व भक्त यहाँ समय समय पर दर्शन पूजन करने आते रहते हैं ।